DISTRICT MONITORING CELL


विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण पुलिस मुख्यालय द्वारा दिनांक 11 जुलाई सन् 2019 को वीडियो कांफ्रेस पर निर्देशित किया गया कि अकादमी स्तर पर जिला मॉनीटरिंग सेल का गठन हो । इसी आधार पर उप निदेशक मप्रपुअ के पत्र क्रं/उप-निदे./ मप्रपुअ/ भोपाल/ निस/ M-1471/ 2019 दिनांक 24 जुलाई के माध्यम से यह सेल आस्तित्व में आया । अकादमी में आधारभूत प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद उप पुलिस अधीक्षक 7 माह 15 दिन व उप निरीक्षक 10 माह का व्यवहारिक प्रशिक्षण अपनी पदस्थापना के जिले में करते हैं। इस प्रशिक्षण में अकादमी स्तर पर सतत् पर्यवेक्षण की आवश्यकता को महसूस करते हुए व जिले से सम्पर्क, सहयोग, समन्वय, कार्यप्रणाली, उपयोगिता व महत्व तथा मार्गदर्शन एवं समीक्षा के सतत प्रवाह हेतु इस सेल का गठन किया गया । डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग सेल व्यवहारिक प्रशिक्षण को संस्थागत प्रशिक्षण से जोड़ने का एक प्रमुख प्रयोजन है । प्रशिक्षण की अवधारणा है कि मैदानी कार्य से जुड़ा हो और मैदानी कार्यों की अपेक्षा के अनुरूप प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण प्रदान कराना । डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग सेल जिले में भेजे गए व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण को प्रशिक्षण की अवधारणा से जोड़े रखना है । प्रशिक्षण के इस प्रयोजन से डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग सेल अकादमी के प्रशिक्षण तक सीमित ना रहकर जिले के प्रशिक्षण को भी मार्गदर्शन प्रदान करने व सकारात्मक प्रयास करने हेतु कार्यरत है । व्यवहारिक प्रशिक्षण को अकादमी से दूर जिले स्तर पर नियंत्रित करने और उसके मापदंडों का निर्धारण कर लगातार प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है । इस प्रकार डिस्ट्रिक मॉनिटरिंग सेल व्यवहारिक प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने का एक संस्थागत प्रयास है, जो विगत तीन उप पुलिस अधीक्षक बैचों में क्रियाशील होने से प्रभावी सिद्ध हुआ है । जिला मॉनिटरिंग सेल अकादमी में कोविड काल के दौरान भी क्रियाशील रहा और पूर्व में जिला प्रशिक्षण का जो कार्य अकादमी स्तर पर मिड ट्रेनिंग रिव्यु के माध्यम से वापस अकादमी में वापस बुलाकर उनका रिव्यू कर उन्हें पुनः निर्देशित कर जिले में प्रशिक्षण को जारी रखने के लिए निर्धारित प्रक्रिया में शामिल किया गया था । उस जिला प्रशिक्षण के दौरान कोरोना काल में ऑनलाइन माध्यम में परिवर्तित कर समस्त रिव्यू ऑनलाइन माध्यम से अकादमी स्तर पर संचालित किए गए । इस हेतु अकादमी के अधिकारिय जिला स्तर पर प्रशिक्षण की बनी हुई प्रजेंटेशन को जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में ऑनलाइन माध्यमों से अकादमी से नियंत्रित किया गया तथा अकादमी के अधिकारियों, जिले के अधिकारियों तथा प्रशिक्षुओं को एक साथ ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण के संबंध में विचार विमर्श कर किया गया

  • जिला प्रशिक्षण में जाने से पहले प्रशिक्षुओं के लिये समयबद्ध कार्ययोजना एवं समय-सारणी बना कर जिले के अधिकारियों को देना ।
  • जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की ऑन लाइन मींटिंग आयोजित कर प्रशिक्षण के बारे में अवगत कराना ।
  • जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति मेंटर अधिकारी के रूप में कराने हेतु पुलिस मुख्यालय से समन्वय ।
  • प्रशिक्षण का लिखित प्रतिवेदन समय-समय पर लेना ।
  • पुलिस मुख्यालय प्रशिक्षण शाखा व अकादमी द्वारा ऑन लाइन मेंटर अधिकारी व प्रशिक्षुओं से चर्चा कर प्रशिक्षण की दिशा व आने वाली समस्यों का निराकरण करना ।
मिड ट्रेनिंग रिव्यू

अकादमी से बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात उप पुलिस अधीक्षक, उपनिरीक्षक को व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु उनके मूल पदस्थापना इकाई में भेजा जाता है, जहां पर पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी निर्धारित पाठ्यक्रम अनुसार उन्हें पुलिस प्रशिक्षण के विभिन्न व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया जाता है । व्यवहारिक प्रशिक्षण के दौरान व्यवहारिक प्रशिक्षण की उपयोगिता एवं गुणवत्ता की समीक्षा हेतु जिले में प्रशिक्षणरत् प्रत्येक प्रशिक्षु को प्रत्येक तीन माह में अकादमी में रिव्यू हेतु बुलाया जाता है, जिसमें प्रशिक्षुओं से व्यवहारिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता के संबंध में समीक्षा की जाती है तथा यथोचित निर्देश देकर वापस जिलों में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु भेजा जाता है ।


रेगुलर ट्रेनिंग रिव्यू

अकादमी में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षुओं को व्यवहारिक प्रशिक्षण हेतु संबंधित जिले में भेजा जाता है । उक्त व्यवहारिक प्रशिक्षण का 3 माह में मिड ट्रेनिंग रिव्यू अकादमी द्वारा तो किया ही जाता है, साथ ही साथ प्रत्येक 15 दिवस की अवधि पर अकादमी द्वारा रेगुलर ट्रेनिंग रिव्यू किया जाता है । रेगुलर ट्रेनिंग रिव्यू में प्रत्येक प्रशिक्षुओं को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जाता है, जिसमें अकादमी स्तर पर गठित आंतरिक समिति एवं बाह्य समिति द्वारा प्रशिक्षण की समीक्षा की जाती है । समीक्षा उपरांत यथोचित दिशा-निर्देश संबंधित प्रशिक्षुओं को दिए जाते हैं, जिससे उनके व्यवहारिक प्रशिक्षण में हुई कमी को पूरा किया जा सके । इस संबंध में डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग सेल द्वारा संबंधित जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर प्रशिक्षण को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया जाता है ।


बाह्य सदस्यों का निर्धारण

आवश्यकता पड़ने पर अथवा इसे अतिरिक्त रूप से समायोजित करने हेतु निदेशक द्वारा बाह्य सदस्यों को भी समिति में निर्धारित करने का प्रावधान है । इसके अंतर्गत निम्न सदस्यों का निर्धारित किया जाता है-

  1. पुलिस अधीक्षक/अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के ऐसे अनुभवी अधिकारी जिन्हें प्रशिक्षण में विशेष अभिरुचि हो ।
  2. उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अनुभवी अधिकारी जिन्हें प्रशिक्षण क्षेत्र में विशेष कार्य का अनुभव हो ।
  3. निरीक्षक/उप निरीक्षक स्तर के ऐसे अनुभवी अधिकारी जिन्हें प्रशिक्षण क्षेत्र में विशेष कार्य का अनुभव हो ।

पुलिस मुख्यालय द्वारा सेल की प्रभावी कार्यवाही हेतु विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण द्वारा विशेष महत्व देते हुए जिलों से समन्वय हेतु अकादमी के अधिकारियों को सक्षम बनाया गया । सेल के गठन के बाद से जिला व्यावहारिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार परिलक्षित हुआ है । पूर्व में 39, 40 एवं 41वें बैच के उप पुलिस अधीक्षकों से फीडबैक लेकर वर्तमान बैच के प्रशिक्षण में सुधार किया गया। अकादमी के अधिकारियों द्वारा निर्धारित अंतराल के बाद संभागवार दौरा किया गया व प्रशिक्षण प्रगति की समीक्षा की गई । इसके अंतगर्त जिले के अधिकारियों को ट्रेनिंग के तारतम्य में जोड़ कर रखना, सम्पर्क व समन्वय कर संस्थागत व्यवस्था लागू होना, समस्त जिलों में आवंटित प्रशिक्षुओं को निर्धारित रूपरेखा में वैधानिक आदेश-निर्देश तथा SOP प्रदान कर सतत् समन्वय, जिलों में प्रशिक्षण के उत्तरदायित्व निर्धारण कर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में समीक्षा, प्रशिक्षण के विभिन्न चरणों का विधिवत् दस्तावेजीकरण कर एनेक्जर, टीपीआर, आदि का संधारण कर समय-समय पर प्रशिक्षण पूर्णता के विभिन्न चरणो का लेखाजोखा जिला अधिकारियों से टीप सहित लेना , प्रशिक्षण में कमी वाले जिलों में पुलिस अधीक्षक आदि से सम्पर्क कर प्रशिक्षण व्यवस्था को प्रभावी रूप से लागू करने हेतु प्रशिक्षण शाखा के सहयोग से जिम्मेदारी का निर्धारण करना, जिला प्रशिक्षण के कार्यों का मूल्यांकन कर समग्र परिक्षा परिणाम में उनके अंकों का महत्व स्थापित करना इत्यादि शामिल है

  • विभिन्न प्रशिक्षण उपखण्डों की समीक्षा व गुणवत्ता निर्धारण
  • प्रशिक्षण कमियों का आंकलन कर उनकी भरपाई
  • प्रशिक्षुओं के निवास, भोजन, वाहन व अन्य व्यवस्थाओं की पूर्ती हेतु समन्वय
  • जिला अधिकारियों से प्रशिक्षण संवर्धन हेतु सुझाव लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में क्रियान्वयन ऑन लाइन समीक्षा
  • मेंटर अधिकारियों की नियुक्ति व कार्य समीक्षा कर पुलिस मुख्यालय के मार्गदर्शन में उत्तरदायित्व निर्धारण
  • प्रशिक्षण मेंटर की नियमित मींटिंग एवं मार्गदर्शन
  • जिला प्रशिक्षण में प्रशिक्षुओं की नियमित मीटिंग,निर्देश व फीडबैक
  • व्यवहारिक प्रशिक्षण के सम्बंध में अकादमी व प्रशिक्षण शाखा को विभिन्न सुझाव देना
  • प्रशिक्षण समाप्ति पर गुणवत्ता के आधार मूल्यांकन व अंक संधारण
  • post training Alumuni से सम्पर्क रख कर contact learning जिलों को जोड़ कर रखना ।

संचालन

उपनिदेशक मप्रपुअ के निर्देशन में इसका संचालन होता है। अतिरक्त पुलिस अधीक्षक प्रशिक्षण म.प्र. पुअ इसका पर्यवेक्षण करते है

  1. श्री विनीत कपूर(IPS) उप निदेशक
  2. श्रीमती रश्मि पाण्डेय- अति.पुलिस अधीक्षक प्रशिक्षण
  3. चौ. मदन मोहन समर- निरीक्षक प्रभारी मॉनीटरिंग सेल
  4. कु. ज्योति त्रिपाठी- महिला आरक्षक

भविष्य में

जिला प्रशिक्षण को और अधिक सुचारू, गुणवत्ता मूलक तथा संवेदी पुलिस के रूप में संचालित कराया जाना। जिला प्रशिक्षण में प्रशिक्षुओं को भविष्य की चुनौतियों से अवगत कराकर दक्ष बनाना.


Last Updated:18 Dec, 2021