शैक्षणिक विनियम
आईटीआई में व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि उद्योगों के लिए कुशल प्रशिक्षित व्यक्तियों की पूर्ती की जा सके तथा स्वयं के लघु उद्योग/स्वरोजगार स्थापित कर सकें l
सामान्य जानकारी
- आई.टी.आई. में जो व्यवसाय राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.व्ही.टी.) की मान्यता के हैं, उनमें परीक्षा के उपरांत सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने पर राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रमाण पत्र प्रदत्त किया जाता है। जिन व्यवसायों में राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.व्ही.टी) की मान्यता नहीं है, उनमें परीक्षा राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एस .सी.व्ही.टी) के अंतर्गत संचालित की जाती है तथा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने पर राज्य व्यावसायिक प्रमाण पत्र प्रदत्त किया जाता है।
- आईटीआई में प्रशिक्षण की अवधि व्यवसायों के अनुसार एक वर्ष एवं दो वर्ष है।
- प्रशिक्षण की अवधि में प्रतिदिन पांच घण्टे प्रायोगिक एवं ढाई घंटे सैद्धांतिक कक्षाएं लगती हैं, शैक्षणिक स्कूल/ कॉलेजों की तरह इसमें ग्रीष्मकालीन अवकाश अथवा कोई लंबी अवधि के अवकाश नहीं होते हैं ।
- प्रत्येक विषय में अलग-अलग न्यूनतम उपस्थिति 80 प्रतिशत होना अनिवार्य है, इससे कम उपस्थिति होने पर परीक्षा में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं होगी।
- लगातार 10 दिवसों तक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने पर निलंबन की कार्यवाही की जायेगी।
- एक वर्ष में 12 दिवस आकस्मिक अवकाश की पात्रता होती है। आकस्मिक अवकाश अन्य किसी अवकाश के साथ नहीं जोड़ा जावेगा ।
- चिकित्सा अवकाश- रजिस्टर्ड मेडीकल प्रेक्ट्रिशनर/असिस्टेन्ट सर्जन द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर प्रशिक्षणार्थी 15 दिवस का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है । गंभीर बीमारी की दशा में एक वर्षीय कोर्स में तीन सप्ताह तथा दो वर्षीय कोर्स में छः सप्ताह अधिकतम अवकाश डाक्टरी प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है । यदि प्रशिक्षणार्थी बीमारी के कारण दो माह तक गैर हाजिर रहता है, तो उसे संस्था से निष्कासित कर दिया जावेगा। जिसका पुनः प्रवेश क्षेत्रीय संयुक्त संचालक द्वारा किया जा सकेगा।
- विशेष अवकाश-प्रशिक्षणार्थी को10 दिवस के विशेष अवकाश की पात्रता होती है । विशेष परिस्थितियों में एक वर्षीय पाठ्यक्रम में 15 दिवस तक तथा दो वर्षीय पाठ्यक्रम में 30 दिवस तक बढ़ाया जा सकेगा। विशेष अवकाश अवधि में प्रशिक्षणार्थियों को छात्रवृत्ति की पात्रता नहीं होगी, यदि वह छात्रवृत्ति प्राप्त करता है।
- संस्था से निष्कासन एवं परीक्षा में सम्मिलित होने से रोकने के लिए प्राचार्य एवं उनसे उच्च अधिकारी अधिकृत होंगें।
- संस्था के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा अनुशासन भंग किये जाने या दुराचरण किये जाने पर उनके विरूद्ध प्राचार्य द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकेगी, जोकि (1) निलंबन (2) निष्कासन (3) परीक्षा में सम्मिलित होने से रोकना इत्यादि हो सकती है।
Latest Update on 27-11-2019